ना कोई राह ना मंजिल, युह्नी भटक रहा हु मैं,
देखते है लोग मुझे हँसते हंसाते हुए आज भी,
पर छुपा कर अपनी बेबसी, मुस्कुरा रहा हु मैं...
किस्मत के लिखे अक्षरों को मिटा रहा हु मैं,
दिल पे लगे गम के दाग हटा रहा हु मैं,
सुनते है लोग मुझे शेरो-शायरी करते हुए आज भी,
पर छुपा कर तेरा नाम, गुनगुना रहा हु मैं...
दिया था जो वादा, आज भी निभा रहा हु मैं,
भूलकर दिन रात, तेरा इंतज़ार कर रहा हु मैं,
मिलते है लोग मुझे नई शुरुवात करते हुए आज भी,
पर छुपा कर हर एहसास, तेरे ख्वाब बुन रहा हु मैं...
कोई गुनाह किये बिना, सज़ा पा रहा हु मैं,
बेरंग सी इस दुनिया के, दस्तूर निभा रहा हु मैं,
देखते है लोग मुझे हर जश्न में पीते हुए आज भी,
पर छुपा कर हर जसबात, गम भुला रहा हु मैं...
अपने दिल के खालीपन को भर रहा हु मैं,
हर लम्हा तेरी याद में कुर्बान कर रहा हु मैं,
सोचते है लोग के चैन से सोता हु मैं आज भी,
पर बुझा कर हर दिया, यादों में जी रहा हु मैं...
टूटे दिल के दुक्दो को फिर से जमा रहा हु मैं,
हर पल अपने धैर्य को आज़मा रहा हु मैं,
कहते है लोग मुझे वो साथ हैं मेरे आज भी,
पर छुपा कर तेरी तस्वीर, ज़िन्दगी बिता रहा हु मैं...
Its really good... "Koi gunaah kiye bina..." wala is too good...!!!
ReplyDeleteThank you Kanupriya... for your comment...
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